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राम आ गए! मेरे राम आ गए!

|| मर्यादा पुरुषोत्तम का आगमन ||

इस धरा ने, इस गगन ने,
हर घड़ी बस राह तक़ी है।
सूना था जो मन का आँगन,
आज वो आस लगी है।

अंधेरा आया, तूफ़ाँ आया,
किरण भी मगर हारी नहीं है।
पीढ़ी दर पीढ़ी, बस एक कहानी,
सदियों से जो जारी रही है।

दीप-माला से अवध को सजाओ,
हर गली में बन्दनवार लगाओ।
राम आ गए! मेरे राम आ गए!

साँसों में विजय का भाव जगा गए।
ये जो रोशनी है, है नाम उन्हीं का,
दशरथ के लाल को, शीश झुका गए।

राम आ गए! मेरे राम आ गए!

दीपावली का पर्व मना गए।

पाँच दिन का है ये उत्सव,
जीवन का है एक सार।
धन-वैभव की पूजा हो,
फैले लक्ष्मी का उपहार।

पर इस ज्योत का अर्थ गहरा है,
ये है धर्म की वो मशाल।
जिसने हर युग को है जीता,
जिसने बदला हर बुरा हाल।

प्रेम-माला से दुनिया को सज़ाओ,
मन में तुम श्री राम को बिठाओ।
राम आ गए! मेरे राम आ गए!

साँसों में विजय का भाव जगा गए।
ये जो रोशनी है, है नाम उन्हीं का,
दशरथ के लाल को, शीश झुका गए।

राम आ गए! मेरे राम आ गए!

दीपावली का पर्व मना गए।

हर कथा के आदि में तुम हो,
हर गाथा के अंत में तुम हो।
जो सत्य की राह है प्यारे,
कण-कण में बस संत में तुम हो।

सिया राम मय सब जग जानी,
करहुँ प्रनाम जोर जुग पानी।

राम आ गए! मेरे राम आ गए!

साँसों में विजय का भाव जगा गए।
ये जो रोशनी है, है नाम उन्हीं का,
दशरथ के लाल को, शीश झुका गए।

जय सिया राम, जय जय सिया राम।

जय सिया राम, जय जय सिया राम।

शुभ दीपावली।